बंद कमरे में 3 लाशों के बीच बेड पर खेल रहा था 6 महीने का मासूम, खौफनाक मंजर देख आंखों से निकल गए आंसू
Pratapgarh Three Death Case
Pratapgarh Three Death Case: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के लीलापुर थाना इलाके के सगरा सुंदरपुर बाजार में गुरुवार की सुबह हड़कंप मच गया. बाजारवासियों की भीड़ यशोदा पटवा के घर उमड़ पड़ी और सभी में कौतूहल था, क्योंकि 80 वर्षीय यशोदा पटवा की तलाकशुदा बेटी जो तलाक के बाद से मायके में रह रही थी. 48 वर्षीय आशा, आशा का बेटा 28 वर्षीय अंकित पटवा व अंकित की 24 वर्षीय पत्नी रिया का शव घर की पहली मंजिल पर स्थित कमरे में एक ही बेड पर शव पड़ा था. जिसके बीच 6 माह का मासूम इस सब से अनजान खेल रहा था.
वहीं यशोदा की तबियत ठीक नहीं होनी की वजह से वो ग्राउंड फ्लोर पर सोती है, जब गुरुवार की सुबह काफी देर तक बेटी, नाती कोई नीचे नहीं आया और न ही कोई आहट मिली तो किसी तरह यशोदा ऊपर पहुंची और कमरे का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला तो पड़ोसियों को आवाज लगाई जिसके बाद लोग दरवाजा पीट पीट कर आवाज लगाई. कोई जवाब नहीं मिलने पर दरवाजा तोड़ा गया तो भीतर का नजारा देख सभी के पैरों तले जमीन खिसक गई. सामने बेड पर तीन शव और उसके बीच मासूम खेल रहा था. इसके बाद पड़ोसियों ने फोन पर पुलिस को सूचना दी.
पुलिस ने मौके पर पहुंच कर पड़ताल करने के साथ ही आलाधिकारियों को सूचना दी. सूचना मिलते ही पुलिस अधीक्षक डॉ. अनिल कुमार, अपर पुलिस अधीक्षक संजय राय व सीओ रामसूरत सोनकर समेत भारी पुलिस बल घटना स्थल पर पहुंच गई. पुलिस टीम ने आवश्यक जानकारी जुटाने के साथ ही तीनों शवों का पंचनामा भर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.
एक ही परिवार के तीन लोगों ने किया सुसाइड
आशा पटवा की शादी रायबरेली में हुई थी, जिसके बाद तलाक हो गया जिसके बाद अपने बेटे के साथ मायके में रहने लगी थी. डेढ़ साल पहले ही बेटे की शादी हुई थी और नाती हुआ था, जो अभी महज 6 माह का है. तीनों मृतकों के शरीर पर कोई चोट का निशान न होने के चलते आत्महत्या या किसी साजिश की आशंका जताई जा रही है. हालांकि अंकित की नाक से खून निकला हुआ था.
पुलिस कर रही मामले की जांच
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पुलिस घटना के विभिन्न पहलुओं की जांच के लिए कई टीमें लगाई गई हैं. बड़ा सवाल यह है इस तरह से पूरा परिवार आत्महत्या क्यों करेगा? क्या कोई दबाव या धमकी मिल रही थी? यदि ऐसा था तो क्या जमीन या प्रॉपर्टी का मसला है या फिर सूदखोरों के चंगुल में फंसा था. जिसके चलते हंसता खेलता परिवार मौत को गले लगा लिया. मासूम की जिंदगी बक्स दी, सवाल तो यह भी है कि 80 वर्षीय यशोदा की जिंदगी और छह माह के मासूम की बची हुई जिंदगी कैसे आगे बढ़ेगी.